जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥ अन्त काल रघुबर पुर जाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं । नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये। दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥ Obtaining Polished the https://www.instagram.com/reel/DFWTy0gvMKk/
Hanuman mantra - An Overview
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