वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥ सर्व कला, संम्पन तुम्ही हो, हे मेरे परमेश्वर, एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी । किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय https://telebookmarks.com/story8583553/5-simple-statements-about-shiv-chaisa-explained
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